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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 25



अंजली  अपने पिता के गले  लग  कर  रो रही  थी  और कह  रही  थी  कि अमित ज़रूर  आएगा । तभी  दरवाज़े  पर  एक दस्तक  होती। अंजली  अपने पिता से कहती  हुयी उठती " मेने कहा था ना पिता जी अमित जरूर  आएगा  देखिये  आ  गया। "

ये कहती  हुयी वो दरवाज़े  की तरफ  देखती  और सामने पुलिस  को देख  डर  जाती और अपना चेहरा  छिपा  लेती है ।


दुर्जन पुलिस  को देख  हैरानी से पूछता  " आप  यहाँ साहब  "

"जी हम  यहाँ, हमें अभी  अभी  खबर  मिली है  कि अंजली  को होश  आ  गया  है  इसलिए  हम  उसका बयान  लेने आये  है  अगर  वो देना चाहे  " महिला  पुलिस  ने कहा।

"साहब  अभी  अभी  तो उसे होश  आया  है , और अभी  तो उसे उस रात का कुछ  याद भी  नही अभी  तो वो अपने बदले  हुए  चेहरे  को देख  कर  ही अपने होशो  हवास खो  बैठी  है । मुझे  नही लगता  कि वो बयान  दे पायेगी " दुर्जन ने कहा

"ठीक  है , ठीक  है  हम  समझ  सकते  है  लेकिन कल  हम  उसका बयान  जरूर  लेकर  जाएंगे । ताकि हमें भी  पता  लग  सके  कि असली गुनेहगार कौन है " दरोगा  ने कहा और जाने लगा 


"आपका  बहुत  बहुत  धन्यवाद  साहब  " दुर्जन ने हाथ  जोड़ कर  जाते हुए  दरोगा  से कहा।


"पिता जी ये पुलिस  यहाँ क्यू आयी  थी " अंजली  ने डरते  डरते  पूछा 

"बेटा पुलिस उस गुनेहगार को ढूंढ  रही  है  जिसने तेरे साथ  ये सब  कुछ  किया है । वो तेरा बयान  लेना चाह  रहे  है  कि उस रात तू  वहा  क्यू गयी  थी  और किससे मिलने गयी  थी । " दुर्जन ने कहा 


अंजली  ये सुन अपने दिमाग़ पर  ज़ोर डालती और उस रात होने वाले वाकिये को याद करने की कोशिश  करती  है । उसके दिमाग़ में कुछ  धुंधली  धुंदली तस्वीरे  बनने  लगी । सबसे  पहले  उसे वो बच्ची  दिखी  जो वो चिट्ठी  लायी थी  उसके बाद उसे मंजू  दिखी  जिसके साथ  वो कुछ  बात पर  बहस  कर  रही  थी  और उसके बाद वो खिड़की  से भागती  हुयी नदी  किनारे पहुंची ।


"किया हुआ बेटा कुछ  याद आ  रहा  है " दुर्जन ने अंजली  से पूछा 


पिता जी मैं नदी  किनारे खड़ी  किसी का इंतज़ार  कर  रही  थी  शायद अमित का क्यूंकि उसने मुझे  मिलने बुलाया था  इसलिए  तो मैं वहा  पहुंची  थी । अंजली  ने अपने दिमाग़ पर  ज़ोर डालते हुए  कहा

"फिर  किया हुआ बेटा तेरे साथ  ये किसने किया कौन आया  था  वहा  किया अमित आया  था  या कोई और ." दुर्जन ने पूछा 

मैं वहा  खड़ी  अमित के आने  का इंतज़ार  कर  रही  थी । लेकिन तभी  अचानक  एक दूर  से आता  एक लड़का  दिखा  जिसे मेने अमित समझा। मेने अपना मुँह नदी  की तरफ  किया और वो मेरे पीछे  से मेरी और आ  रहा  था । धीरे  धीरे  वो मेरे और नजदीक  आ  गया  अंधेरा  हो चुका  था  इसलिए  दूर  से उसका चेहरा  दिखाई  नही दिया।


जब  वो पास  आया  मेने उससे कुछ  कहा अमित समझ  कर  लेकिन जैसे ही मैं पीछे मुड़ी तब  वहा । नही नही.
कहते  हुए  अंजली  ने अपने आप  को चादर  में छिपा  लिया


"कौन था  अंजली  बेटा जिसे देख  तू  डर  गयी  थी  किया वो अमित नही था । अगर  अमित नही था  तो कौन था, आखिर  कौन था  उस रात वहा  मुझे  बता  ताकि मैं उसे सजा  दिलवा सकूँ तेरा जानने वाला था  या फिर  वो साहूकार का बेटा अर्जुन था । था  कौन वहा  उस रात तेरे साथ  " दुर्जन ने गुस्से से पूछा 


अंजली  ने डरते  डरते  चादर  से अपना मुँह निकाला और काँपते होठो से बोली " व,,,, व,,,, वो वही था  जो मुझे  नुकसान पहुँचाना  चाहता  था  "

"कौन तुझे  नुकसान पहुँचाना  चाहता  था  बोल तो सही  क्या तू  उसे जानती थी । क्या वो इसी गांव का है ?" दुर्जन ने दोबारा गुस्से से पूछा 


"उसने अपना बदला  ले लिया, उसने जो कहा वो कर  दिखाया  हाँ वो वही  था । उसने मुझसे  अपना बदला  ले लिया, वो सिर्फ मुझे  नुकसान पहुंचाने  के लिए  आया  था  उस रात और उसने मुझे  नुकसान पंहुचा  दिया मेरा चेहरा , मेरा चेहरा  जला  दिया उसने, उसने जो कहा वो कर  दिया मैं कुछ  ना कर  सकी । हाँ, उसने कर  दिखाया  उसने मुझसे  बदला  ले लिया हाँ वो वही  था ।" अंजली  अपने चेहरे  पर  ऊँगली फेरती  हुयी कपकपी  जुबान में बोलती जा रही  थी ।


दुर्जन ने उसे दोनों हाथो  से पकड़ा  और झंझोड़ते  हुए  बोला " बता  क्यू नही देती आखिर  कौन था  उस रात किसके साथ  मुँह काला करने  गयी  थी  अपनी शादी  वाले दिन, आखिर  नाम क्यू नही लेती उसका कितनी देर से पूछ रहा  हूँ होश  में आ , और उसका नाम बता  कौन था  वो तेरा आशिक  जिसके बारे में तूने किसी को नही बताया  था  "


अपने पिता के मुँह से इस तरह  की बाते सुन अंजली  को अपने कानो पर  विश्वास नही हो रहा  था  कि उसके पिता भी  वही  सब  मानने को तैयार हो गए  जो गांव वाले उसे बता  रहे  थे  ये सब  सुन अंजली  ने ज़ोर से कहा " वही  था  वो ज़िंसने मेरा अपहरण  किया था  और जैल  के पीछे  था । जिसके अत्याचार से मेने एक गरीब  को बचाया  था  और वो मेरा दुश्मन  बन  गया  था । बस  मेरा इतना कसूर  था  की मैं उसके द्वारा किए  जा रहे  अत्याचार के आगे  खड़ी  हो गयी  थी  जब  सब  लोग यहाँ तक  की अपने आपको  मर्द कहने  वाले आदमी  भी  वहा  खड़े  उस बूढ़े  आदमी  को पिटता हुआ देख  रहे  थे  लेकिन उनकी मर्दानगी बाहर  नही आ  रही  थी  जो अक्सर औरत  को पीटते  समय  बाहर  आ  जाती है । और आज  देखो  मुझे  उसकी किया सजा  दी उस इंसान ने मुझसे  मेरा चेहरा  ही छीन  लिया। हाँ वो वही  साहूकार का बेटा अर्जुन था  जिसने उस रात मेरा चेहरा  ही नही आत्मा तक  को झुलसा कर  रख  दिया अपनी मर्दानगी के आगे  ये कह  कर  अंजली  बहुत  रोई जिसे देख  दुर्जन ने उसे अपने सीने  से लगा  कर  चुप  कराया  और कहा


मुझे  माफ करदे  मेरी बेटी मैं जानता था  कि ये सब  उसी ने किया है । लेकिन गांव वाले ये सब  मानने को तैयार नही है  वो यही  कहते  है कि तेरी बेटी कसूरवार  है  उसके साथ  जो कुछ  भी  हुआ उसके लिए । उनका मानना है  ये सब  अर्जुन ने नही बल्कि तेरे किसी नाकाम आशिक  ने किया है।


साहूकार ने अपने बेटे के साथ  मिलकर  बहुत  अच्छी तरह  से सब  को बोतल  में उतारा है ।

उन्ही की बातो में आकर  मुझे  भी  यही  लगने  लगा । लेकिन अब मेने तेरे मुँह से सुन लिया है  और मेरी बेटी मुझसे  झूठ  नही बोल सकती  अब गुनेहगार को सजा  ज़रूर  मिलेगी।


कल  को तू  सब  कुछ  पुलिस  को बता  देना। और भगवान  पर  भरोसा  रख  हम  गुनेहगार को ज़रूर  पकड़ वाएंगे।


"कैसे पिता जी, किया वो सब  लोग मेरी बातो का यकीन  करेंगे  कानून  और अदालत  सबूत  मांगते है  और मेरे पास  कोई सबूत  नही है  सिवाय इस जले  हुए  चेहरे  के अलावा "अंजली  ने पूछा 

"बेटी भगवान  हमारी  मदद  जरूर  करेगा  शायद  इसीलिए  उसने एक पुलिस  वाले के दिल में हमदर्दी और ईमानदारी डाल दी है  ताकि वो हमारी  मदद  कर  सके  सबूत  खोजने  में " दुर्जन ने कहा

"मैं कुछ  समझी  नही पिता जी, केसा सबूत  किया कुछ  मिला है  वहा  पर " अंजली  ने पूछा 

"हाँ, बेटा चोर  कितना भी  शातिर  क्यू ना हो एक ना एक गलती  कर  ही देता है  और उस रात अर्जुन ने भी  की थी  उस तेजाब की बोतल  को वही  छोड़  देने की। जिसकी सहायता  से पुलिस  पता  लगा  रही  है  की उस पर  उंगलियों के निशान  किसके है । जिससे ये साबित हो जाएगा उस रात जो कुछ  किया अर्जुन ने अपना बदला  लेने के लिए  किया। और मेरी बेटी बेक़सूर  है  " दुर्जन ने कहा


अंजली  ने उसे रोते हुए  गले  लगाया ।


उसकी ये सब  बाते वहा  खड़ी  नर्स सुन रही  थी और उसने ये भी  सुना की एक सबूत  भी  मिल चुका  है  जिसके बाद अर्जुन को दोषी  करार  कर  दिया जाएगा।


वो नर्स एक लालची  औरत  थी  उसने अपने दिमाग़ में खिचड़ी  पकाई  और एक मंसूबा  बनाया  साहूकार से पैसे एठने का।


उधर  दूसरी  तरफ  कमलेश  ने उस पुलिस  वाले से पूछा  जो की दुर्जन की मदद  करना  चाह  रहा  था । की उसने छान  बीन  के दौरान मिलने वाली बोतल  का किया करा। उसे सबूत  के तोर पर  इस्तेमाल करेगा  या नही.


उस दरोगा  ने बड़ी  आसानी  से झूठ  बोलते हुए  कहा " साहब  उस बोतल  पर  से उंगलियों के निशान  मिट चुके  थे  शायद  जिसने भी  ये किया था  उसने उसके निशान  मिटा दिए  है  या फिर  हो सकता  है  नदी  का पानी उस तक  आ  पंहुचा  हो और उसके निशान  धूल  गए  हो इस लिए  उससे गुनेहगार का पता  लगाना  ना मुमकिन है  "


"ठीक  है  अब तुम जाओ " कमलेश  ने कहा

तभी  उसके जाते ही उसने अपने जीजा को फ़ोन  लगाया  और कहा " राम राम जीजा जी, किया बात बहुत  दिनों से साले को कोई फ़ोन  नही किया और हमरा  भांजा  केसा है , ठीक  तो है जिज्जी बता  रही  थी  कि वो उस छोकर्या से मिलने अस्पताल पहुंच गया  था ।

तनिक  उसे समझाइये  कि अब उसका चेहरा  तो बिगाड़ ही दिया है  अब किया उस ससुरी  को मारने का भी  इरादा बना  लियो है  किया। "

"तुमने कैसे फ़ोन  कर  लिया साले साहिब किया आज फिर  किसी और ज़मीन  की रजिस्ट्री अपने नाम करने  का इरादा है  किया "चरण  सिंह  ने कहा

"अरे जीजा जी केसी बात करदी  आपने , माना की मैं थोड़ा  लालची  और मतलबी  इंसान हूँ लेकिन ये सब  मेने आपसे  ही तो सीखा  है  कि कैसे दूसरों की मजबूरी  का फायदा उठा  कर  अपनी झोली  नोटों से भरी  जाए अब आपका  साला हूँ थोड़ा  बहुत  तो असर  आएगा  ना आपका  भी  और जिज्जी और आप  से प्रेम भी  तो कितना करता  हूँ कि हर  समय  आपके  लिए  हाजिर रहता  हूँ जब  भी  आप  दोनों किसी मुसीबत  में होते हो" कमलेश  ने कहा

"अच्छा, अच्छा पता  है  तू कितना प्रेम करे  हम  सब  से, उस प्रेम की कीमत  सूत  समीत  वापस  भी  ले लेता है, अब ये बता  किस लिए  फ़ोन  किया है  तूने ।" चरण  सिंह  ने कहा


"जीजा जी, आप  के लिए  खुशखबरी  है  " कमलेश  ने कहा

"किया खुशखबरी  है  अब बताएगा  भी , या उसके भी  पैसे लेगा " चरण  सिंह  ने कहा

" नही जीजा जी, अब मैं इतना लालची  भी  नही हूँ की हर  चीज  के लिए  एक रकम  मांगू वैसे खुशखबरी  ये है  की जो बोतल  उस दरोगा  को मिली थी  उस पर  अर्जुन के निशान  नही आये  या तो उन्हें अर्जुन ने ही मिटा दिया होगा और या फिर  भगवान  की किर्पा से वो स्वयं ही मिट गए । अब डरने  की कोई बात नही अब वो लड़की  और उसका बाप मरते  दम  तक  साबित नही कर  सकते  कि ये सब  अर्जुन ने किया है  " कमलेश ने कहा


"तुझे  पूरा  यकीन  है , कि वो दरोगा  सही  कह  रहा  है " चरण  सिंह  ने कहा

"जीजा जी मैं यहाँ का एक बड़ा  ऑफिसर  हूँ, मुझसे  बगावत  करना  मतलब  आ  बेल मुझे  मार वाली कहावत  को असली में देखना । किसी में हिम्मत नही कि कोई मुझसे  झूठ  बोले उसी दिन उसका बोरिया बिस्तर बांध  कर  यहाँ से चलता  करवा  दूंगा।" कमलेश  ने कहा


"ठीक  है, ठीक  है  अब फ़ोन  रखता  हूँ शाम  को घर  आना  फिर जश्न करते  है ।"चरण  सिंह  ने कहा और फ़ोन  रख  दिया।

कमलेश  ने भी  अपना फ़ोन  अपनी जेब में रखते  हुए  ज़ोर से पास  खड़े  हवलदार  से चाय  लाने को कहा.

ये सुन वो हवलदार  चाय  लेने चला  गया ।


आखिर  किया होगा किया नर्स साहूकार को जाकर  बता  देगी या फिर  उसकी अंतरात्मा उसे रोक लेगी ऐसा करने  से जानने के लिए  पढ़ते  रहिये 

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5 Comments

Neelam josi

02-Jun-2022 01:51 AM

बहुत खूब

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Shrishti pandey

01-Jun-2022 09:11 PM

Very nice

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Raziya bano

01-Jun-2022 12:07 PM

Bahut khub

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